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Showing posts from May 24, 2020

भोलू का सपना

एक दिन ऐसे ही जब भोलू की आँख खुली  तो उसे लगा जैसे उसने कोई सपना देखा  उसने कोई सपना देखा सपने में अपनी माँ को देखा  माँ बोली जल्दी से उठ जा भोलू सूरज सर पर हैं  नहा धो कर तैयार होकर पढ़ना भी तो है  पढ़ना भी तो है फिर मित्रों संग खेलना भी है  भोलू चौक कर माँ से बोला पढ़ेंगे कैसे हम  विद्यालय तो  बंद है और न कोई अध्यापक है  और न कोई अध्यापक है तो उठ के क्या करू  इस पर माँ हंस के बोली मेरा हाथ बंटाएगा  धुले कपडे सुखाएगा तो गणित की गिनती सीखेगा गणित की गिनती सीखेगा और जल्दी बड़ा होजायेगा  भोलू ने फिर अचरज में माँ से पुछा खेलूंगा कैसे  मेरे मित्र तो अपने अपने घर पर है कोई नहीं बाहर  कोई नहीं बाहर तो किसके संग खेलूंगा मैं  इस पर फिर माँ हंस के बोली चल नए मित्र बनाये  आसमान के साथ पतंग उड़ाए और नदी के संग तैरें  और नदी के संग तैरें फिर थक के घर लौट आये भोलू की आँख खुली तो देखा माँ कपडे धो रही थी  दौड़ के गया और उसने माँ को अपना सपना सुनाया  माँ को अपना सपना सुनाया तो माँ हंस के बोली  अब उठ ही गया है  मेरे लाल तो ठीक है फिर  नहा धो कर तैयार होकर पढ़ना भी तो है  पढ़ना भी तोह है फिर मित्रों संग खेलना भ